हिन्दी कहानी – पसंद : स्वर्ग या नर्क…?

 

एकदिन एक बहुत प्रसिद्ध समुराई
आया – ज़ेन मास्टर हाकूईं (Zen Master Hakuin) के पास
बोला – मैं जानता हूँ
केवल जीवन और मृत्यु के बारे में
बताओ मुझे
कहाँ है दरवाजा स्वर्ग और नर्क का
ताकि वक्त आने पर नर्क से बच कर
ज़रूर पहुँच सकूँ मैं स्वर्ग पर ।

ताकतवर और घमंडी समुराई को देख कर
ज़ेन मास्टर हाकूईं बोला…
है तू कौन पुछने वाला
स्वर्ग और नर्क का द्वार जानने वाला ?

समुराई बोला…
मैं दलपति हूँ समुराई का
मैं हूँ योद्धा, राजा भी मुझे सम्मान और पुरस्कार देता है
तू कैसे पूछता है की मैं हूँ कौन ?

सवाल जवाब सुनते ही
ज़ेन मास्टर हाकूईं हँस पड़ा
पूछा – तुम सचमुच हो क्या समुराई
दिखाई नहीं देती मुझे तेरी चतुराई ?

हँसी और सवाल जवाब मास्टर का सुनकर
समुराई को गुस्सा चढ़ा
उसे लगा मास्टर ने उसकी बे-इज़्ज़ती की
गुस्से से समुराई ने तलवार उठाया
मास्टर को मार देना चाहा
मास्टर ने और ज़ोर से हँस कर बोला
यही है दरवाजा नर्क का…
तुमने अपने घमंड से इसका दरवाजा खोला ।

ज़ेन मास्टर समझाते हुये बोला…
मारने के लिए तलवार उठाना ही तेरा घमंड है
वही नर्क का दरवाजा है
घमंड और गुस्सा नर्क का दरवाजा दिखाता है।

अचानक समुराई को समझ में आया
खुद से पूछा…
वह आया किसलिए था और कर क्या रहा है ?
ज़ेन मास्टर को मारने खड़ा है
उसे इस गलती का एहसास हुआ
तलवार को म्यान में रखा
खुद पे काबू कर शांत हो गया…

ज़ेन मास्टर तब फिर से बोला…
समुराई अब तुम शांत हो
गलती का एहसास किए हो
शांत हो के ही – स्वर्ग का दरवाजा खोला जा सकता
तुम आज दोनों दरवाजे के बारे में
सही ज्ञान पा चुके हो
अब तुम जा सकते हो… 

 

साथियों !

यह कहानी इंटरनेट से ली गई है ।  गद्य के बदले पद्य का इस्तेमाल करने की कोशिश की गई है ।  कहानी में कोई बदला व नहीं, लेकिन लगता कुछ नया नया और है इस में काफी कुछ नीति शिक्षा ।

नीति शिक्षा :

  • स्वर्ग और नर्क का दरवाजा हमारे अंदर ही है । अगर आप सचेतन न हों और गुस्से से काम करना चाहते हों तो आपके लिए नर्क का दरवाजा खुलेगा । अगर आप consciously, जागरूक होके ठंडे दिमाग से काम करेंगे तो आपके लिए स्वर्ग का दरवाजा खुलेगा ।
  • स्वर्ग और नर्क मृत्यु के बाद मिलते नहीं । देखा जाय तो हररोज इस जीवन में ही हम स्वर्ग और नर्क को देख पाते हैं ।

अंत में अपने पद्य के माध्यम से आप लोगों को मैं ये कहना चाहता हूँ…

कविता

यहाँ वहाँ स्वर्ग और नर्क ना ढूंडो
ढूंडो अपने दिल और दिमाग में
अहंकार, घमंड और गुस्सा फेंक दो
अगर चाहते हो शांति ही शांति जीवन में
पसंद सबको हो सकता स्वर्ग
पर – आप के कर्म   पर निर्भर है
मिलेगा आप को स्वर्ग या नर्क ।

 

धन्यवाद ।

रतिकान्त सिंह