कहानी : दो पक्षियों की
साथियों,
आज आप लोगों के लिए एक छोटी कहानी इंटरनेट से अनुवाद करके आपके सामने पेश कर रहा हूँ । लगता है आपको पसंद आएगा ।
कहानी
एकबार एक राजा था । वह दो शानदार बाजपक्षी ईनाम मे पाया । वे दो विदेशी बाज पक्षी थे। राजा पहले इतना सुंदर और शानदार पक्षी देखा नहीं था । राजा ने दोनों कीमती पक्षियों को प्रधान बाज पालने वाले को प्रशिक्षण देने के लिए सौंप दिया ।
कुछ महीने बीत गए । एकदिन प्रधान बाज पालक ने राजा को खबर दिया कि एक बाज तो शानदार ढंग से उड़ रहा है, आकाश के काफी ऊंचाई में उड़ान भरता है । किन्तु दूसरा बाज पेड़ के डाली मे ही बैठा हुआ है । आज तक उस डाली से टस से मस तक नहीं हुआ।
यह जान कर राजा चिंतित हो गए । उन्होने बाज की देख रेख और उड़ाने के लिए देश-विदेश से बाज प्रशिक्षक और जादूटोना जानने वाले लोगों को बुलाया । सभी लोगों की कोशिश के बावजूद भी पक्षी नहीं उड़ा । सभी लोग असफल हो गए ।
राजा ने इस बार पक्षी को उड़ाने के काम अपने दरवारी को सौंपा और सोचा कि दरवारी जरूर कुछ कर पाएंगे । परंतु आगले ही दिन राजा ने राजमहल के झोरोखे से देखा कि बाज पक्षी उसी डाली मे उसी तरह बैठा हुआ है ।
सब कुछ कोशिश करने के बाद, राजा खुद ही सोचा, “मुझे शायद जरूरत है ऐसा एक व्यक्ति जो देहात के बारे मे जानकारी राखता हो ताकि इस समस्या के प्रकृति को समझ सके ।“ इसलिए उन्होने दरवारी को आदेश दिया, “जाओ एक कृषक को पकड़ के लाओ ।“
सवेरे , राजा बहुत खुश हो गए जब उन्होने बाज को राजप्रासाद के उद्यान के ऊपर उड़ान भरते देखा । उन्होने दरवार को कहा यह चमत्कार करने वाले व्यक्ति को मेरे सामने पेश किया जाए ।
दरवारी अति शीघ्र कृषक को ढूंढ निकाले, वह आकर सन्मानपूर्वक नत मस्तक होकर खड़ा हो गया । राजा ने उनसे पूछा, “आप ने बाज पक्षी को कैसे उड़ा पाए ?” कृषक ने सिर झुकाये बोला, राजन यह अति सहज था । मैंने केवल उस डालको काट दिया जहां बाज पक्षी बैठा हुआ था ।
प्रिय बंधु ,
हम सभी को उड़ने के लिए तैयार किया जाता है – अनुभव करने के लिए हमारा असाधारण अंतर्निहित शक्ति को एक मानव रूप देने के लिए । किन्तु कभी कभी हम हमारे शाखा/डाली में ही बैठे रहते हैं । चिपक के रहते है उस चीज/सामान के साथ जिसके बारे में हम जानते हैं या जो चीज़ हमारा जाना पहचाना है । संभावना बहुत कुछ है, तथापि हम सभी के लिए वह सब अज्ञात में ही रह जाते है । हम स्वीकार कर लेते हैं जाने पहचाने, आरामदायक और नीरस काम को । उसके लिए सर्वाधिक समय, हमारा जीवन सब रोमांचकारी, उत्तेजक और संतोषप्रद न हो के मामूली या सामान्य हो जाती हैं । चलिये, सीखते हैं डर को खतम करने के लिए और डर की शाखा जहां गूँद जैसा चिपक के रहते हैं । वहाँ से मुक्त करें हम अपने आप को गर्व के साथ उन्मुक्त आकाश में उड़ने के लिए ।
प्रिय बंधु ,
यह कहानी आपको कैसे लगा , कृपया जानकारी दें । Comment करना न भूलें ।
धन्यवाद ,