KAVITA : EID MUBARAK HO AAPKO MERE BHAI…

(1)
रमजान पवित्र माह मुसलमानों का
बहुत कुछ करवा के जाता है
बहुत कुछ सिखा के जाता है
ज़िंदगी जीने का नया ताकत भी देता है
रमजान को जो सही ढंग से मान लिया, जान लिया
साल के बाकी महीने
हँसी-खुशी और सुकून से गुजर भी जाएगा
चलो हम सब मिलके कहें…
ईद मुबारक हो आपको मेरे भाई ।

(2)
रमजान – सुस्वागत है तुम्हें
तैयार हैं हम खान-पान पर सुबह से शाम तक परहेज रखेंगे
उपवास रखना मानसिक ताकत बढ़ाता है और शरीर को अच्छा बनाता है
अच्छे बातें, अच्छी बर्ताव करेंगे, कुकर्म और झगड़े से दूर रहेंगे
कामुक भावना और यौन संबंध से दूर रहते हुए
पवित्र हो के दुखी, दीन-हीन का मदद करेंगे
रमजान – तुम आते हो, हमे अच्छे और सच्चा बनने का सिख देते हो
ऊपरवाले की कसम हम अच्छे बनेंगे जरूर
चलो हम सब मिलके कहें…
ईद मुबारक हो आपको मेरे भाई ।

(3)
रमजान आई और गई
बहुत कुछ देके गई
रमजान आई और ऐसे आई
सच –  मुझे खास आदमी बनाके गई
चलो हम सब मिलके कहें…
ईद मुबारक हो आपको मेरे भाई ।

(4)
जहन्नुम और जन्नत यहीं कहीं है
रमजान महीने में ढूंडो तो
जन्नत मिलने की ऊमीद बढ़ जाती है
हम साफ, पाक, पवित्र और माहौल भी पवित्र होता है
चलो हम सब मिलके कहें…
ईद मुबारक हो आपको मेरे भाई ।

(5)
मजा आता है गले मिलके ईद में
रमजान जरूर इजाफा करता विशवास खुद पे
सच्चा इन्सान बनना आसान हो जाता है
रमजान महिना नए सोच-विचार और आदत ले आता है
चलो हम सब मिलके कहें…
ईद मुबारक हो आपको मेरे भाई ।

(6)
प्रेम-मुहब्बत में फूँक देता है जान
पाक, पवित्र महिना है रमजान
चलो मिलके जशन मनाएँ
हँसी-खुशी साथ मिलकर खाना खायें
ईद मुबारक हो – गूंजने दो चारों तरफ
दोस्त ही दोस्त दिखाईं दें इधर-उधर
हम जात-पात और धर्म से ऊपर उठते हुए
चलो हम सब मिलके कहें…
ईद मुबारक हो आपको मेरे भाई
ईद मुबारक हो आपको मेरे भाई ।

…रतिकान्त सिंह
Ratikanta Singh.