हे नव वर्ष – 2019 !
क्यों आना पड़ा आपको यहाँ ?
शायद- कर्तव्य परायणता ही ले आया है आपको यहाँ
इस लिए आप पहुँचे हैं यहाँ ।
हे नव वर्ष – 2019 !
किस रास्ते पे लोंगों को लेके जाएंगे
शायद – आप भी नहीं जानते होंगे
हाँ – लोंगों को ही पता होना चाहिए
वे कहाँ जाना चाहते हैं ?
उन्हें अगर पता ही नहीं
आप कुछ भी कर नहीं सकते ।
हे नव वर्ष – 2019 !
आप को पता है ……….
इस साल कुछ लोग मरेंगे जरूर
कुछ लोग हार जाएंगे
कुछ लोग जीत जाएंगे
जीतने के बाद भी
कुछ लोग जीत का मजा नहीं ले पाएंगे
हार के बाद भी
कुछ लोग हार को हार नहीं मानेंगे
हार के बाद भी उसे जीत समझेंगे
उन्हें लगता है – हार एक सीखने का तारिका है
हर चीज को सकारात्मक तरीके से देखते हैं
चिंता नहीं करते दुख के आने से
तलाशते हैं तरीका सुख और शांति के लिए
बता दो नव वर्ष – यह मतलब हर किसी को
यह सब कहाँ और कैसे मिल सकता है ।
हे नव वर्ष – 2019 !
ट्रेड वार (वाणिज्य युद्ध ) के साथ – साथ
तेल युद्ध अब चल ही रहा है
मालूम नहीं और कितना युद्ध देखना पड़ेगा
प्रकृति भी गुस्सा होके खतरे का घंटी बजा रही है
दुनिया भर मौसम और जलवायु काफी बदल रहा है
आतंकवाद का कुत्सित रूप हरवक्त खतरा बना हुआ है
असहिष्णुताऔर बेचैनी हर जगह पे सर उठा रही है
यह दो बीमारी हमलोगों का ही उपज है
नव वर्ष बताइए जरा …..
मंदिर, मसजिद, गिरजा घर और गुरुद्वार अगर ना होते
मनुष्य क्या अमानुष हो जाता ?
पर दुख के साथ यह बताना पड़ता है
हर धर्म के स्थल होते हुए भी
आदमी मानवता क्यों खोता जा रहा है ?
हे नव वर्ष – 2019 !
मैं और ज्यादा सवाल करुंगा नहीं
कभी भी तकलीफ तुम्हें पहुंचाऊंगा नहीं
नव वर्ष का केवल सुरुआत ही तो हुआ है
आप किसके लिए क्या करेंगे
यह जानना या पता करना मुशिकल ही तो है
लेकिन आपका शुभेच्छा और आशीर्वाद जोश भर देता है
365 दिन आप सबके लिए ही लेके आते हैं
सबको उतना ही दिन देते हैं
हर एक दिन जो अपना भलाई सोचता और करता है
आप उसे और भी हिम्मत देते हैं
कभी कभी लेकिन जरूर इंतिहाँ भी लेते हैं ।
हे नव वर्ष – 2019 !
ताकत दो, उत्साह और उद्दीपन दो
सबको धैर्यवान और सहिष्णु बना दो
आप का प्यार और स्नेह सबको मिले
सभी लोग गर्व के साथ चलना सीखें
ये धरती को बना दो सुखमय और समृद्ध
दुख और दर्द को इस संसार से भगा दो
आपका आशीर्वाद मिले भरपूर सबको
इस धरती को भाईचारा और बंधुत्व का नया स्वर्ग बना दो
हे परम पिता, हे महा प्रभु
हे नव वर्ष – 2019
इस नव वर्ष को सचमुच नया बना दो !
…Ratikanta Singh
रतिकान्त सिंह