हिम्मत
करके हिम्मत लिखना चाहता हूँ
उडिया, हिन्दी और अँग्रेजी में ।
कोई भी भाषा मेरा मातृभाषा नहीं
फिर भी लिखुंगा – ये हिम्मत है मुझ में ।
सच पूछिये तो – में तीनों भाषाओं में कमजोर हूँ । लेकिन – कमजोर हो के रहना नहीं चाहता । में तीनों भाषाओं में लिखने का अभ्यास शुरू कर दिया हूँ । हर महीने कम से कम तीन ब्लॉग पोस्ट हर भाषा में जरूर लिखुंगा । यह मेरा दृढ़ संकल्प है ।
मैं मज़ाक से तथा गंभीरतापूर्वक कभीकभार कहता हूँ…
“गब्बर सिंह ये कह गया – जो डर गया सो मर गया” ।
इस लिए मैं डरूँगा नहीं, लिखुंगा जरूर । धीरे-धीरे मेरा उडिया, हिन्दी और अँग्रेजी में सुधार होगा । यह बिस्वास है मेरा । हाँ – एकदिन मैं मरूँगा जरूर, पर निश्चय लोग मुझे याद करेंगे मेरे लिखने का हिम्मत के लिए…
मैं अपने आपको समझाता हूँ…
अभी तो ये अंगड़ाई है
आगे और लड़ाई है ।
हिम्मत करनेवालों का ही
जीत जरूर होता है ।
यही सोच और विचार के साथ आगे बदूँगा और बढ़ते जाऊंगा । मैं चाहता हूँ – लोग जरूर कहें – “देखो… वह जा रहा है हिम्मतवाला”…..
पोस्टेड बाई…..
रतिकान्त सिंह ।
Posted by….
Ratikanta Singh.