जो मुझे दिखाई देती और सुनाई देती… (3)
(1)
खुद की दवाई
कभी कभार तो खुद की दवाई
खुद को ही खाना पड़ता है
देश का चुनावी माहौल यह कहता है
जैसी करनी होती है, वैसी भरनी पड़ती है ।
(2)
बेशरम
शरम भी शर्मा जाए
कुछ नेताओं की बेशरम बातें सुन कर
भाषा की स्तर घटी है या नेता का स्तर ?
लोग परेशान हैं सोच-सोच कर ।
(3)
समाज
कुछ चीज़ें देख नहीं सकते
कुछ बातें सह नहीं पाते
इस समाज को छोड़ नहीं सकते
पर – आँख, कान और दिमाग को हम कैसे बंद कर सकते?
(4)
मीडिया और लोकतन्त्र
टीवी में दिखाई देते हैं चिल्लानेवाले ज्यादा
सुनने और सुनानेवाले कम
इसे मीडिया और लोकतन्त्र का आज़ादी कहें
या इसे मीडिया और लोकतन्त्र की नाटक कहें या मस्ती कहें ?
(5)
मेरा भारत महान!
कोई कैसे मान ले
मेरा भारत महान!
ट्रक के पीछे लिखा है
सौ में से नब्बे बेईमान ।
…रतिकान्त सिंह ।