रतिकान्त सिंह की हिन्दी कवितायें
(जो मुझे दिखाई देती और सुनाई देती)…(9)
(1)
(जीना-मरना)
लोग आपको जाँचेंगे, आँकेंगे और परखेंगे
आपके बारे में राय बनाएँगे
कोई भी उन्हें रोक नहीं सकता
आपकी आलोचना, तुलना होना काफी संभव है
घबराइए मत…
सच्चाई का सामना कीजिये
आपका आत्मविश्वास, आपके अभिमान को उजागर कीजिये
सही राह पे चलने का हिम्मत रखिए
वरना…आप येही सब सोच सोचके जी नहीं पाएंगे
और येही सब सोच सोचके मर नहीं पाएंगे ।
(2)
(उन्नति)
20 साल बाद पुराने दोस्त से आज मुलाक़ात हुई
पुरानी स्मृति आंखों के सामने उभर आई
हमारे नौकरी जीवन का शुरुवात एकसाथ ही हुआ
35 साल के बाद कोई आगे तो कोई पीछे रह गया
हमारे बाल-बच्चों का भी नौकरी करने का समय आ गया है
उनके सफलता या असफलता से हमारी कामयाबी को आँका जाता है
येही है ज़िंदगी की सच्चाई
बाल-बच्चों की उन्नति ही है हमारी कमाई ।
(3)
(यह आदमी रतिकान्त)
मरूँगा तो जरूर पर मेरा मृत्यु बेकार नहीं होगा
मेरा वैबसाइट www.ratikantasingh.com पे आने पे पता चलेगा
आज भी आप कहेंगे – यह आदमी रतिकान्त कुछ खास करके मस्त जी रहा है
मैं जोश के साथ जरूर कहूँगा…
मेरे ज़िंदगी के बचे हुये दिन और भी कमाल का, फलप्रद और उपकारी होना ही है ।
(4)
(भरोसा)
Super confidence, सुपर नुकसान भी पहुंचाता है
ये हम नहीं कहते, बहुतों ने कहा है
चमचों पे भरोसा करोगे तो लूट जा सकते हो तुम
इसलिए, खुद पे ही भरोसा करना सीख लो तुम
Confidence के साथ काम करते जाना
बेपरवाह मत होना, अपने काम पे ध्यान रखना ।
(5)
(फैसला)
निर्वाचन का फैसला जरूर चौंका दिया है
जनता जनार्दन ने अपना राय दे दिया है
जनता में परिपक्वता और समझदारी कितनी है
यह निर्भर करता ताकतवर नई सरकार क्या कर दिखाती है
भारतवासियों को क्या देती है और कहाँ तक लेके पहुंचाती है ?
…..रतिकान्त सिंह