रतिकान्त सिंह की हिन्दी कवितायें
(जो मुझे दिखाई देती और सुनाई देती) – (13) 

(1)
(समय)
सभी को लगता, समय मुफ्त हमे मिलता है
पर यह अनमोल चीज योंही नहीं मिलता है
लगता समय का मालिक कोई नहीं  है
पर, समय उसीका, जिसने उसे सही इस्तेमाल करना सीखा है । 

(2)
(समय)
समय मिलता नहीं
समय निकालना पड़ता है
समय सबकुछ योंही देता नहीं
समय से लेना, सीखना पड़ता है । 

(3)
(समय)
दोस्तों, समय खर्च करो सोच समझके
हररोज कुछ खास करो जमके ।  

(4)
(समय)
अब नहीं तो कब
कृपया ये पुछो खुदसे आप सब । 

(5)
(समय)
समय गुजारो सोच समझके
समय नहीं आएगा फिर लौटके । 

(6)
(समय)
समय धन है यह सब कहते हैं
आप क्या मानते हो, ये मायने रखता है । 

(7)
(समय)
समय हरवक्त सही होता है
हम ही शायद सही वक्त को पहचान नहीं पाते हैं । 

(8)
(समय)
ज्यादा समय हम जरूर चाहते
पर, समय को ही ज्यादा बरबाद भी करते
समय का अनुशासन या प्रबंधन करना होगा
और जीवन में उन्नति और सफलता लाना ही होगा । 

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हिन्दी कवि – रतिकान्त सिंह
Hindi Poet – Ratikanta Singh