जो मुझे दिखाई देती और सुनाई देती…(6)

(1)
(गाली)
गाली खाता कौन है?
खुद से ही पूछ लो
गाली देता कौन है ?
खुद से ही पूछ डालो!

(2)
(जाल)
अगर कोई….
झूठ भी बोले हो के निर्भय
लोग विश्वास कर लेते हैं
ऐसे आदमी को भला कोई कैसे रोकेगा ?
केवल इंतजार करो…
शायद शिकारी खुद ही अपने जाल में फंस जाएगा । 

(3)
(सम्मान)
रूठ जाओ, गालियाँ दो
परवाह नहीं इन चीजों की उसे
वह तो दीवाना है काम और काम के नतीजों का
क्रिएटिव काम कर दिखाने पे मजा आता है उसे
प्यार, इज्जत और सम्मान देता वह जमके । 

(4)
(फरिस्ता)
ज़िंदा-दिली किसे कहते हैं मालूम नहीं
हँसके-हँसाके, खेल के, खिल-खिलाके ज़िंदा है वह
मदद करना, उत्साहित करना, यह सब उसकी आदत है
उसे बदनाम ना करो तुम रो-धो के
गरीब, पीड़ित, कमजोर उसे फरिस्ता कहते हैं । 

(5)
(लघु कविता)
अपने ढंग की लघु कवितायें
मैं लिखता ही जा रहा हूँ, शायद रुकूँगा ही नहीं
इसे लोग कविता कहेंगे या नहीं
मुझे अबतक मालूम ही नहीं
अगर मुझे कवि नहीं भी माना
मैं तो कुछ कर सकता नहीं
पर मेरे दिल की बात सुनाने में
मुझे कोई रोक सकता नहीं ।

 

…रतिकान्त सिंह