भगवान श्री कृष्ण दुनिया को गीता का ज्ञान दिये थे । वे ज्ञान के स्त्रोत थे । भगवान श्री कृष्ण को युग पुरुष कहा जाता है । उनका दिया गया शिक्षा आज भी काम देता है । हर युग में श्री कृष्ण की शिक्षाएं जरूर काम देते रहेंगे ऐसा महसूस होता है । उन्होने महाभारत के युद्ध में अहम भूमिका निभाते हुए विश्व को श्रीमद भागवत गीता के माध्यम से  उपदेश प्रदान किया ।

इस युग पुरुष के अनेक नाम हैं। ये नाम उनके विभिन्न कार्यकलाप और गुणों से मिले है ।  हर नाम पे गूढ़  रहस्य है, अर्थ है । वे कभी भलाई करते हुए नए नाम पाये हैं तो कभी किसी असुर या दुराचारी को वध करके नए नाम पाये हैं । उनका कीर्ति अनेक, नाम अनेक लेकिन युग पुरुष एक ही थे ।  चलिये आज हम अनेक नाम जानें और अर्थ समझें ।….

 

  1. कृष्ण – सबको अपनी और आकर्षित करने वाला ।
  2. गिरिधर – गोबर्धन पर्वत को उठाने वाला ।
  3. मुरलीधर – मुरली को धारण करने वाला।
  4. मधुसूदन – मधु नामक दैत्य को मारने वाला ।
  5. गोपाल – गौऔं का या पृथ्वी का पालन करने वाला ।
  6. गोविंद – गौऔं का रक्षक ।
  7. श्याम – सांवले रंग वाला ।
  8. माधव – माया के प्रतीक ।
  9. मुरारी – मूर नामक दैत्य के शत्रु ।
  10. वनवरी – वनों में विहार करने वाले।
  11. मदन – सुंदर ।
  12. मोहन – सम्मोहित करने वाला ।
  13. पीताम्बर धारी – जिसने पीले वस्त्रों को धारण किया है ।
  14. यशोदा या देवकी नन्दन – यशोदा और देवकी को खुश करने वाला पुत्र।
  15. कुंज विहारी –कुंज नामक गली में विहार करने वाला ।
  16. चक्र धारी – जिसने सुदर्शन चक्र या ज्ञान चक्र या शक्ति चक्र को धरण किया हुआ है ।
  17. मुकुन्द – जिनके पास निधियाँ है ।
  18. योगीश्वर – योगिओं के ईश्वर या मालिक ।
  19. गोपेश – गोपिओं के मालिक ।
  20. हरी – दुखों को हरण करने वाला ।
  21. मनोहर – मन का हरण करने वाले ।
  22. जगदीश – जगत के मालिक ।
  23. कंसारी – कंस के शत्रु ।
  24. पालन हार – सबका पालन पोषण करने वाला ।
  25. केशव – केशी नाम के दैत्य को मारने वाला (2) पानी के ऊपर निवास करने वाला (3) जिनके बाल सुंदर हैं ।
  26. रुक्मिणीवलभ – रुक्मिणी के पति ।
  27. वासुदेव – वासुदेव के पुत्र होने के नाते ।
  28. गुड़ाकेश – निद्रा को जीतने वाले ।
  29. रणछोर – युद्धभूमि से भागने वाले ।
  30. सारथी – अर्जुन के रथ चलाने के कारण यह नाम ।
  31. हृषिकेश – इंद्रियों को जीतने वाला ।
  32. यदुपति – यादवों के मालिक ।
  33. वृष्णि पति – वृष्णि कुल में उत्पन्न होने के कारण ।
  34. नाग नथिया – कलिया नाग को मारने के कारण ।
  35. देवेश – देवों के ईश्वर ।
  36. यदुवंशी – यदुवंश में अवतार धरण करने के कारण ।
  37. नंद लाला – नन्द के पुत्र होने का कारण ।
  38. रास रचिया – रास रचाने के कारण ।
  39. अच्युत – जिस के धाम से कोई वापस नहीं आता है ।
  40. दामोदर – पेट पर जिन के रस्सी बांध दी गयी थी ।
  41. सखा – अर्जुन और सुदामा के साथ मित्रता निभाने के कारण ।
  42. रमण – सदा अपने आनंद में लीन रहने वाले ।
  43. छेलिया – छल करने वाले ।
  44. द्वारका धीश – द्वारका नगरी के मालिक ।
  45. नागर – सुंदर ।
  46. अपराजित – जिन्हें हराया न जा सके ।
  47. बाल गोपाल – भगवान कृष्ण का बाल रूप ।
  48. चतुर्भुज – चार भुजाओं वाले प्रभु ।
  49. दानोवेंद्रो – वरदान देने वाले ।
  50. धर्माध्यक्ष – धर्म के स्वामी ।
  51. दयानिधि – सब पर दया करने वाले ।

….रतिकान्त सिंह

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