हे श्रीकृष्ण !
तुम आज भी इतना सच लगते हो
जितना तुम कल थे और आनेवाले युगों तक रहोगे
तुमने क्या न किया ?
तुमने तो सबकुछ किया
वाल्यावस्था से ही कमाल किया
कोई कैसे न माने
बहुत कुछ कहते हैं इतिहास के पन्ने । 

हे श्रीकृष्ण !
काफी आम लगते थे तुम
खास काम करते थे तुम
जवानी में जो करना था किया
जवानी का सही इस्तेमाल तुमने किया
ताकत, मेहनत और बुद्धि का परिचय दिया
प्रेम करने में भी पीछे न रहा
प्रेम करना तुमने जग को सिखाया । 

हे श्रीकृष्ण !
तुम बांसुरी भी बजाते थे
न जाने कितनों का इस सुर से मन्त्रमुग्द्ध करते थे
लगता था जीव और निर्जीव भी इसका आनंद उठाते थे
क्या जादू कहाँ से सीखा तुमने
खास बेटा, खास भाई, खास प्रेमिका और सही रिश्तेदार बनके खुश किया तूमने
ज्ञानी राजा, न्यायी राजा बनके  देश चलाया तूमने । 

हे श्रीकृष्ण !
तुम्हारे बारे में जो भी लिखें कम होगा
तुम आज भी इतना सच लगते हो
जितना तुम कल थे और आनेवाले युगों तक रहोगे
तुम थे दिग्दर्शक, आज हो मार्गदर्शक
तुम्हारे वचन है सत्य वचन
जीने का सही दिया है तूमने प्रवचन
ज़िंदगी सुधर जाएगी
जो करे तुम्हारा पालन
जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण ।  

हे श्रीकृष्ण !
तुम गुरु हो, तुम हो रक्षक
तुम्हारे लिए हम कहते हैं जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण
तुमने साबित किया है तुम हो अवतार
तुम भगवान विष्णु के हैं आठवें अवतार
तुम हो योद्धा, तुम हो महावीर
तुमने निभाया अध्यापक का भूमिका और बन गए दर्शन शास्त्री तथा सुरवीर
हम सब करते तुमको प्यार, पूजा भी करते
तुम हो भगवान अनुकंपा और करुणा का
तुम में भरा है कोमलता, सुकुमारता और प्रेम ही प्रेम
सभी मानते हैं तुमको एक श्रेष्ठ भगवान
तुम हो मानवता के लिए, मानव चाहे तुमको सदाके लिए
खुशी खुशी हम गायें हररोज…
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे
हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे
यही है हमारा भक्ति और शांति
आशीर्वाद करो हम पाएँ शक्ति, शांति और मुक्ति । 

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हिन्दी कवि – रतिकान्त सिंह