रतिकान्त सिंह की हिन्दी कवितायें
(जो मुझे दिखाई देती और सुनाई देती) – (11) 

(1)
(हीरो)
अच्छी बातें वह एक ही आदमी का करता है
उसे चतुर और होशियार भी कह सकते हो
जबसे माहौल बदला है यहाँ का
सही जगह पे सही वक्त में दिखाई देता है वो
कल क्या था भूल जाओ यारों
आज वो पल पल का हीरो । 

(2)
(प्रशंसक)
मेरे एक प्रशंसक ने कहा…
सर जी! कुछ भी चीजों पे
कुछ भी लिख डालते हो
और, आप उसे कविता कहते हो ?!
लगा, मेरा प्रशंसक confused था
मुझे भी confused करने को कोशिश किया
मैंने पूछा… तो तुम कविता क्यों पड़ते हो मेरे भाई ?
उसने कहा… सर जी! क्या मस्त लिखते हो!
कुछ तो अलग अंदाज से लिखते हो
मैंने कहा… धन्यवाद
उसने मुस्कुराया… और चल दिया… 

(3)
(अब शायद)
हम कहाँ जा रहे हैं ?
कौन लेके जा रहा है ?
ये सोचना पड़ेगा
अच्छे दिन आएंगे
अब शायद… जनता इसका आनंद उठाएगा… 

(4)
(बेड़ा पार)
देश बदलना चाहिए
यह तय हम सबने किया
प्रचंड बहुमत हम सबने दिया
Parliament के दो सदनों में विकास का लहर शुरू हो गया है क्या?
अब इंतजार करें…
सोचलो, हम सबका नम्बर आएगा
और जान लें … सकारात्मक सोच ही
हम सबका बेड़ा पार लगाएगा… 

(5)
(कविता बॉम्ब)
एक दोस्त ने तंज़ मारते हुए कहा
जो भी लिखते हो सोच समझके लिखना
कविता, बॉम्ब बनके social media  पे फट गया तो
घायल तुम ही हो  सकते हो
परेशान रहोगे, लिखना, पढ़ना भी भूल जाओगे
हो जाओ होशियार, हो जाओ सावधान
सही चीजों के प्रति रहे हम सबका ध्यान ।

…………..

हिन्दी कवि – रतिकान्त सिंह