जो मुझे दिखाई देती और सुनाई देती…(8) 

(1)
टीवी (Television) 

आजकल टीवी देखने को जी नहीं चाहता
लगता है टीवी हररोज जहर उगलता और कहर ढाता
साथ साथ हम जो पर्यावरण  पर अन्याय करते हैं
इस अन्याय का नतीजा टीवी में देखने को मिलता है
कहीं बाढ़, कहीं तूफान, तो कहीं सूखा और भूकंप
धरती तहस-नहस हो रही है
हर कोई केवल चिंता जताता है
कोई ठोस कदम लेने का मनसा दिखाई नहीं देता
हर देश अपने फायदे कही सोचता
मानवता, मानव धर्म, भाई – चारा और शांति-मैत्री को क्यों भूल जाता?
भगवान जाने इस संसार का क्या होगा?
कुछ ठोस कदम किसी न किसी को उठाना ही पड़ेगा
Who will bell the cat?
सोचने से नहीं होगा
साथियों….
Let us together bell the cat
यही सोचने से ही काम होगा….
यही सोचने से ही काम होगा….

(2)
डॉक्टर (Doctor)

एक आदमी ने यह सुनाया…
कुछ डॉक्टर केवल पैसा ही पहचानते हैं
आदमी को आदमी नहीं, कुछ और समझते हैं
अगर उन्हें पता चला, मरीज का mediclaim है
मरीज का क्या और कैसे bill होगा, भगवान भी नहीं जानता
यह विशवास करना मुशिकल है
पर, क्या करें – डॉक्टर भी तो आदमी है ।

(3)
(कमजोर और छोटा दिल)

उसके साथ काम करनेवाले साथी कहते हैं
उसका दिल कमजोर और छोटा है
पर, वह और भी कामयाब बनना चाहता है
इस कमजोर और छोटे दिल को लेकर भी वह काफी ऊंचाई तक पहुँच गया है
उसकी कामयाबी का तहक़ीक़ात से पता चला है
वह हँसता है कम, मुंह भी ज्यादा नहीं खोलता
काफी कष्ट से मजबूरन से ही ऑफिस फ़ाइल में सही करता
फिर भी आज वह बड़े कुर्सी पे बैठा है
आज वह खूब बड़ा ऑफिसर है
यह सच है, सचमुच ही सच है
उसके बड़े बनने का राज भी बहुत आश्चर्यजनक लगता है
उसका छोटा और कमजोर दिल ही शायद कामयाबी का कारण है ।

(4)
(औरत)

किसी एक आदमी ने एक औरत की कहानी सुनाई…
उसने एक औरत को औरत ही नहीं डायन और नागिन बताया
इससे आगे बढ़ कर और भी कुछ सुनाया…
उसने कहा वह औरत बहुरूपिया ही नहीं मीठी छुरी भी थी
अपना काम निकालने तक मन-मोहिनी बने रहती थी
काम निकाल लेने के बाद लाथ भी मार सकती और संकट बन जाती थी
उस आदमी ने बताया यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है
भगवान हमे हररोज आशीर्वाद करे
उस जैसे औरत से हम सबको बचाए…. 

(5)
(ज़िंदगी) 

हर एक दिन का 1440 मिनट को सही इस्तेमाल कर पाना
बिन conflict, बिन टकराव और प्रतिकूल परिस्थिति में भी मस्त जी लेना
खुद को शाबाशी का हकदार बनाता है ।
जी लो दोस्तों ! जी लो…
ये ज़िंदगी न मिलेगी दुबारा
खुद को ही, हँसी-खुशी से बनाना पड़ेगा
अपना ज़िंदगी को प्यारा और सुनहरा ।

….रतिकान्त सिंह